शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

गांधी गुजरा आया अन्ना

भूखा बैठा वजन घटाता 
जनता की आवाज बढाता 
बेलगाम शासन को काबू 
करने को अनशन अपनाता 

जागी फिर स्वराज तमन्ना 
गांधी गुजरा आया अन्ना.

सत्ताधारी मोटे अजगर 
पड़े हुए हैं कितना खाकर?
नहीं जानता कोई अब तक? 
कौन सपेरा पकड़े आकर? 

पलट गया संशय का पन्ना.
गांधी गुजरा आया अन्ना.

भारत मुद्रा गांधीवादी 
जिसपर जितनी उसकी आंधी. 
असली गांधी नाम लगाकर 
करते चांदी नकली गांधी.

निचुड़ चुका गांधी का गन्ना. 
गांधी गुजरा आया अन्ना.

आज उगते सूरज को सलाम करने वालों की फौज खडी हो रही है. मैं भी काव्य-अर्घ देकर इसका सिपाही होने जा रहा हूँ. जो जिस उपासना पद्धति से अर्चना कर सकता है करे अवश्य. इस संशय को समाप्त करना है कि 'कहीं उगते यह सूर्य अस्त न हो जाए?' अन्ना हजारे का स्वर ठंडा नहीं है उसमें गांधी + पटेल का मिश्रण है. उनकी भ्रष्टाचार की मुहीम में मन से साथ हैं. इस आशा और विश्वास के साथ कि 'उनके इस कार्य से संसद द्वारा भारत के दामन पर लगा दाग कुछ धुलेगा'.

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपके ही शब्दों को हमारा भी स्वर समझा जाये ......

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  2. गांधी और पटेल का मिश्रण हैं , बस इसीलिए एक उम्मीद बाकी है।

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  3. आपके विचारों ने मुझे भी कुछ लिखने की प्रेरणा दी है, आशा ही नहीं पूर्ण विश्‍वास है कि यूं ही आप लिखते रहें और हम जैसों के मार्गदर्शन करते रहें, आपको इसके लिए बहुत बहुत धन्‍यवाद साथ ही अण्‍णा जी एवं पूरी टीम को बधाई

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  4. आदरणीय प्रतुल जी...
    सादर अभिवादन!
    अन्ना हज़ारे जी के साथ हमारी भी शुभकामनाएँ हैं.
    रचना पसंद आई.
    इसके लिए आपको बधाई.

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समस्त भारतीय कलाओं में रूचि रखता हूँ.