वाह रे आज का प्रजातंत्र
घूमते सब गुंडे स्वतंत्र
हाय फैला कैसा आतंक
लगे हैं रक्षक-भक्षक अंक
पुलिस पर एक बड़ा है मन्त्र
किसी को पीट करें परतंत्र
घोर है उनका अत्याचार
रोंये सब जन-जन हो लाचार
बनाया था जिनको सरताज
वही सर चढ़े हुए हैं आज
लूटते लाज करें दुष्काज
गिरी न अब तक उनपर गाज.
प्रभु, एक विनती है सुन लो!
हमें तुम ऐसे रक्षक दो
जो भक्षक के भक्षक हों.
या फिर,
करें ये राज, करें ये राज
शीघ्र आयें हरकत से बाज
नहीं तो हो जाएगा नाश
हमारा ये सुन्दर समाज.
['लोकतंत्र' जीवित रहे ........ आओ ऎसी कामना करें.]