गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

नया साल आया

विप्रा ने .... गौरव से ...
इन्टरनल जोब्स के ज़रिये 
पिछड़ी जातियों के लिये
प्रमोशन का द्वार खुलवाया. 
............ नया साल आया. 

गज़न्फर ने आशीष के ...
........ कान में ..... धीरे से
..... जल्दी सफलता का
....... प्रेरक प्रसंग सुनाया
............ नया साल आया.

देवब्रत ने 
विप्रा के सामने 
पर्सनल इमोशन का ....
....... मेघ-मल्हार गाया 
............ नया साल आया.

योगिता और नेहा ने ...
....... जाटों की स्टडी में
'अरुण कुमार' को
'किंग ऑफ़ क्वेरी' बताया. 
............ नया साल आया.

सीनियर सुधीर ने ...
जूनियर सुधीर से ...
..... टॉयलेट रजिस्टर में 
ओरिजनल नेम बदलवाया 
............ नया साल आया.

रियाज़ ने 
नरेश के हाथ में 
फिक्स डिपोजिट हो जाने पर 
करेंसी ज़मा न कर पाने का 
कम्यूनी- 'कोशन' पेपर थमाया 
............ नया साल आया.

अर्चना ने सुब्रातो को ....
सुबह की शिफ्ट का 
हेल्थ-फायदा बताया 
............ नया साल आया.

पवन ने 
बर्थ-डे कलेक्शन पर 
कोटेश को खुश करने को 
५०% इनकम-टेक्स लगाया 
............ नया साल आया.

हरप्रीत ने चनदीप से 
गठिया दर्द वाली स्टडी के समय 
ऑफिस आने से पहले 
एक्सेस कार्ड एक्सेस करवाया 
............ नया साल आया. 

एक ही समय में 
दो दफ्तरों में 
इकलौता मुर्गा 
जोर से चिल्लाया. 
............ नया साल आया. 

दीपा ने 
पुराने डीओज को 
उनकी भावी टीमलीड का 
................ दर्शन कराया. 
............ नया साल आया.

हरीश ने 
बॉस की बात को 
समझ में आने से पहले 
'हाँमी' में गर्दन को 
ऊपर से नीचे हिलाया 
............ नया साल आया. 

संतोष के ऊपर 
शाम सात बजे 
विनीता मेडम के 
बिहारी भूत ने 
अपना कब्जा जमाया 
............ नया साल आया. 

कुलदीप ने 
प्रमोशन के आशा-दीपक में 
अपना पूरा तेल गिराया 
............ नया साल आया.

चंदर ने 
झल्लाहट में 
कुर्सी पर बैठकर 
लंबा पाँव फैलाया 
............ नया साल आया.

विजय कुमार ने 
अपना डेज़ीग्नेशन 
'CRF डिज़ाइनर' बताया 
खुद की नज़रों में 
अपना महत्व बढाया. 
............ नया साल आया.

विजयालक्ष्मी मेडम ने 
अपने ऑफीशियल टाइम को 
रबड़-बेन्ड बनाया. 
............ नया साल आया. 

और मैंने 
अपने कनवेंस फॉर्म में 
महीने दर महीने 
होम और ऑफिस के बीच 
किलोमीटर डिस्टेंस बढाया 
............ नया साल आया.

[भाग-1]

गुरुवार, 16 दिसंबर 2010

ईश्वर सबके कष्ट हरो

ईश्वर सबके कष्ट हरो. 
मुझमें सारे कष्ट भरो. 
यदि कान हैं तेरे पास 
उनको मेरी ओर करो. 
ईश्वर सबके कष्ट हरो. 
नहीं चाहिए मुझको कुछ भी 
तुम अपना आराम करो. 
लेकिन सबके कष्ट हरो. 
तुम पर है विश्वास हमारा 
बेशक तुम संदेह करो. 
ईश्वर सबके कष्ट हरो. 

रविवार, 12 दिसंबर 2010

श्वेतिमा-सौंदर्य

सुन ली है मैंने
आपकी धड़कन
ह्रदय की.

भीड़ इतनी थी
कि बस में
कान मेरा
(सीट बैठे ) छू रहा था
वक्ष तेरा
आप ठाड़े पास में थे.

बोलते थे आप शायद
"सीट आरक्षित हमारी"
गाड़ियों का शोर
'पौं- पौं'
हो रहा था
नहीं पडता था सुनाई.

मैं विफलता शौक में था
शून्यता के लोक में था
सोचता था –
'भाग्य मेरा
साथ देता क्यों नहीं है'

"नहीं आती शर्म तुझको
बेशरम, बन ढीठ बैठा." –
खड़ा कर देने का 'दम'
उस कर्कशा आवाज़ में था.

हलक सूखा
लग रहा था
मीन मुख में
फँस पड़ा हो कोई 'काँटा'.

हाथ दोनों में से मैंने
एक टाँगा
हेंगर की भाँति ऊपर
और टेका दूसरा
सीट के डंडे के ऊपर
जहाँ पहले से धरे
दो हाथ चिकने
और उनपर केश बिखरे
लालिमा ले बाल काले.
झाँकता था श्वेत सुन्दर
बाल उनसे चमचमाता.
और मुझको था कराता
ज्ञान उसकी अवस्था का.

मेरे उठते सीट से ही
हो गई थी सीट के ही
गिर्द हलचल.
किन्तु मेरा ध्यान उसके
श्वेत कच की ओर ही था.
पा रहा था स्वयं को मैं
श्वेत कच की भाँति
छूटा  -- बिन पुता.

हो गए हैं शेष काले
बाल वो भी लालिमा ले.
देख उनको याद आते क्लास वाले.
मेरी दृष्टि खोजती उनकी सफेदी.
और खुद की श्वेतिमा पर
करती अश्रुपात जमकर.

जड़ हुआ मस्तिष्क, लेकिन
प्रश्न अब भी कर रहा है :
"कौन कब आकर करेगा,
श्वेतिमा-सौन्दर्य को
मौलिक कसौटी पर कसेगा?"


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Kavya Therapy

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नयी दिल्ली, India
समस्त भारतीय कलाओं में रूचि रखता हूँ.