विद्या विलास में हो तत्पर
मन, शील हमारा हो सुन्दर
तम, भाष हमारा सत्य सहित
मन, मान मलिनता से हटकर.
यम नियम आदि का हो पालन
वैदिक कर्मों से भला इतर.
जग जन-जन के दुःख दूर करे
ऐसी विद्या देना हितकर.
[एक परित्यक्त अर्चना, जो चिकित्सा के लिए 'काव्य थेरपी' औषधालय आ गयी.]