बढ़ती भीड़ में
पीछे धकेले जाने के बावजूद
करता हूँ अपनी बारी का
लगातार इंतज़ार।
नफ़रत फैलाती हरकतों पर
ज़हर उगलते भाषणों पर
खामोशी के साथ
देता हूँ सहिष्णुता का परिचय।
जुल्म के खिलाफ उठती
हर आवाज़ में
मिला देता हूँ चुपचाप
अपनी भर्रायी आवाज़।
लाचारी में फैले
हाथों को हिकारत से न देख
देखता हूँ घोटाले बाजों को
घृणा से अधिक,
क्योंकि में हूँ
भारत का एक जिम्मेदार नागरिक।