बुधवार, 24 नवंबर 2010

माइन है तो ..............फाइन है

[मेरा है तो अच्छा है]

एक विचारक थे ठीक अमित शर्मा जी की ही तरह. पर वे वर्तमान अमित जी से दो कदम आगे की सोच के थे.   वे मांसाहार करना बुरा नहीं मानते थे. वे केवल बलात्कार को बुरा समझते थे. 
इसलिये उन्होंने इस दुष्कर्म पर प्रतिबंध लगाने को पुरजोर कोशिशें कीं. बलात्कार समर्थकों से बड़ी तार्किक बहस भी की. लेकिन वे उन्हें किसी भी तरह से समझा नहीं पाए. 
बलात्कार समर्थक उसे अपने-अपने धर्मों का आधार कहते थे. वे सभी उस कृत्य को अपनी इच्छा न कहकर परमसत्ता की आज्ञा बताया करते थे. उन्होंने अपने-अपने सुन्दर तर्कों से कुरूप-सी परिभाषायें भी गढ़ लीं.   अमित से दो कदम आगे चलने वाले उन सज्जन ने  अपनी अंतिम कोशिश में अपने ब्लॉग पर दो वीडिओ लगाए. 

पहला वीडिओ ...... 

स्त्री के साथ एकाकी दुष्कर्म का. और 



दूसरा वीडिओ ..... 

अबोध कन्या के साथ सामूहिक दुष्कर्म का. 


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विरोधियों और समर्थकों ने टिप्पणियाँ दीं : 

१ ] प्रो. बाल की खाल —
आप सौहार्द भंग करने की कोशिश करते हैं जनाब. अपने शास्त्रों में देखिये कितने ही महापुरुषों ने यह सात्विक कार्य किया है 
— रावण ने सीता का हरण किसलिये किया था. जबकि रावण एक वेद-विद्वान् और महापंडित था. [देखें : पंडित खर और दूषण द्वारा रचित 'रावायण', सात्विक बलात  काण्ड, पृष्ठ ३-१३]
— द्रोपदी का चीर हरण करने वाले कौरव राजवंश के लोग थे जिनकी शक्ति के समक्ष पांडव भी अपना मुँह नहीं खोल पाए. [देखें : शिखंडी रचित महाभारत, चीर-हरण पर्व, पृष्ठ ९-२-११] 
अतः आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप इस तरह इस परमसत्ता 'अगाओ' के नेक कर्म के प्रति बदनीयत भावनाएँ न भड़काएँ. यह आपके लिये भी अच्छा होगा. आप इस नेक राह पर चलेंगे तो जन्नत में हूरें आपका इंतज़ार करेंगी. ऐय्याशी को बुरा न ठहराएँ. आप जानते नहीं हैं कि ऐश्वर्य से ही ऐय्याशी बना है. थोड़ा समझदारी पूर्ण परिचय दें. 
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अगाओ — 'अ' से अल्लाह; 'गा' से GOD, 'ओ' से ओउम 

Time: 2:00AM, 24 November, 2010 Wednesday

२] महाशय मासूम —
आपने इंसानियत से जुदा हरकत की है. आपको कोई हक़ नहीं कि सृष्टि चलाने वाले नियामक कर्म को ही बदनीयत करार दिया जाये. हम तो इस प्रक्रिया से अभ्यास करते हैं प्रजनन सबंधी क्रियाओं का. 

Time: 2:40AM, 24 November, 2010 Wednesday

३] बेनाम भाईजान —
आप खुद तो नामर्द हो कोई दूसरा मर्दानगी का परिचय देता है तो आपके गले नहीं उतरता. 

Time: 4:30AM, 24 November, 2010 Wednesday

४] भाई खूब कही —
आपने एकदम सही कहा. 

Time: 5:31AM, 24 November, 2010 Wednesday

५] मनोभाव-शून्य —
मुझे समझ नहीं आता कि आप इस तरह के मसलों को क्यों उठाते हैं. अरे यह तो व्यक्तिगत इच्छाएँ हैं. आपको गूगल में पोर्न साइट्स नहीं दिखायी देतीं वहाँ तो इस तरह के तमाम वीडिओ भरे पड़े हैं. आप इन दो वीडिओ पर ही हाय-तौबा मचाये हुए हो. 

Time: 6:43AM, 24 November, 2010 Wednesday

६] मौसम ठीक है — 
मैं इस पर कुछ नहीं कहूँगा. 

Time: 7:13AM, 24 November, 2010 Wednesday

७] बिस्तर लगा है — 
मुझे आपने सोचने पर मजबूर कर दिया है. 

Time: 8:32AM, 24 November, 2010 Wednesday

८] डॉ. मीनमेख 
जब भी इस तरह की पोस्ट कोई मेरी नज़र से होकर गुजरती है. मैं उसे पसंद नहीं करता. आप ध्यान दें तो पायेंगे कि हर कहीं तो चीर खींचने में लगे हैं लोग. 
एक शायर ने क्या खूब कहा है : 
जब भी वे मिलने आते हैं मुझसे. 
मेरा अंदरूनी मन उन्हें दबोच लेना चाहता है. 
............ 
आपने मेरी टिप्पणी पिछली बार मोडरेट कर दी थी. 
आपसे टिप्पणी मोडरेट करने की उम्मीद अभी भी बरकरार है. 


Time: 9:55AM, 24 November, 2010 Wednesday

९] टीन-कनस्तर 
अच्छी प्रस्तुति. 
मेरे ब्लॉग पर पधारें. लिंक : teenkanastar.blogspot.com/


Time: 11:32AM, 24 November, 2010 Wednesday

१०] डॉ. उत्तमौत्तम 'बिना-अंकुश' 
मुझे आपसे कोई लेना-देना नहीं. आप जो कर रहे हैं मानव हित में है. इसलिये आप मेरे संगठन के आजीवन सदस्य बनें. आपमें जज्बा है इस जज्बे को ख़त्म न होने दें. 
तुरंत कदम उठायें. 

डॉ. उत्तमौत्तम 'बिना-अंकुश' 
दलित-मोचन सेना 
राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारत 
फोन : 000-00000000; फेक्स : 000-00000000
मोब: 00-0000000000


Time: 12:23PM, 24 November, 2010 Wednesday






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समस्त भारतीय कलाओं में रूचि रखता हूँ.