शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

तनाव की तपन

कविता ने है कर दिया 
मेरा कंठ अवरुद्ध. 
भ्रष्ट राग गाता फिरा 
नहीं हुआ कुछ शुद्ध. 

नहीं हुआ कुछ शुद्ध 
तनाव की तपन झुलसता. 
सत्य सूर्य को आज़ 
भ्रष्ट बादल भी ग्रसता. 

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नयी दिल्ली, India
समस्त भारतीय कलाओं में रूचि रखता हूँ.