शनिवार, 11 सितंबर 2010

शेरा का बसेरा

बहुत दिनों से इंतज़ार है 
खेलों का हो जाए सवेरा.
दिनभर बादल छाये रहते 
रातों का तो फिक्स अंधेरा. 


दिनरात ट्रकों ने भर-भर पैसा 
दिल्ली की सड़कों पर गेरा.
कोमनवेल्थ गेम गाँव में 
शेरा का बन गया बसेरा. 

शीला के घर का शेरू ही  
खेलों का मैनेजर शेरा. 
कोमनवेल्थ गेम गुफा में 
घपले घोटालों का डेरा. 

पैसा पानी तरह बहा तो 
पानी भी आ गया भतेरा.
आधे अनपूरे कामों पर 
हथिनी कुंड ने पानी फेरा. 

शेरा .. तेरा शेरा .. मेरा   
शेरा को .. पानी ने घेरा. 
ऊपर गरजें काले बादल 
पीछे हथिनी का जल-घेरा. 

डूब रही है झोपड़-पट्टी 
डूब रहा उम्मीद बसेरा. 
लेकिन अपनी यही कामना 
खेलों का हो जाए सवेरा. 

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मेरे बारे में

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नयी दिल्ली, India
समस्त भारतीय कलाओं में रूचि रखता हूँ.