suprabhat guruji,bahut sahaj-saral kavita....pranam.
.भ्रष्ट चाहे नेता हों अथवा बादल , उनकी सत्ता अल्प कालिक होती है । सत्य के तेज कों ग्रस लेने जितना दम-ख़म उनमें नहीं होता ।नहीं क्लांत करो तुम मन कों , इन दुःख तनाव से ,हर घटना सुन्दर पाठ है , बस देखो शांत भाव से । .
.नहीं क्लांत करो तुम मन कों, इन दुःख तनाव से,हर घटना सुन्दर पाठ है, बस देखो शांत भाव से।— ये सर्वोत्तम औषधि है. @ प्रेम प्रेरक बोल से तनाव की हो तपन कमतर. किन्तु व्रण एकांत पाते पीड़ा से कराह उठता. दिव्या जी, आपकी पंक्तियों में इस बार मुझे महाकवि मुख वचन की अनुभूति हुई है. क्या ये पंक्तियाँ किसी अन्य महाकवि की तो नहीं? .
.संजय जीनमस्ते. कवि अपने समस्त तनावों को कविता से ही विरेचित करता है. चाहता तो वह समस्त समस्याओं का निराकरण भी इसी थेरेपी से है. किन्तु यह थेरेपी किसी कम्पनी कोर्पोरेट आदि में मान्य नहीं. .
suprabhat guruji,
जवाब देंहटाएंbahut sahaj-saral kavita....
pranam.
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जवाब देंहटाएंभ्रष्ट चाहे नेता हों अथवा बादल , उनकी सत्ता अल्प कालिक होती है । सत्य के तेज कों ग्रस लेने जितना दम-ख़म उनमें नहीं होता ।
नहीं क्लांत करो तुम मन कों , इन दुःख तनाव से ,
हर घटना सुन्दर पाठ है , बस देखो शांत भाव से ।
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जवाब देंहटाएंनहीं क्लांत करो तुम मन कों, इन दुःख तनाव से,
हर घटना सुन्दर पाठ है, बस देखो शांत भाव से।
— ये सर्वोत्तम औषधि है.
@ प्रेम प्रेरक बोल से तनाव की हो तपन कमतर.
किन्तु व्रण एकांत पाते पीड़ा से कराह उठता.
दिव्या जी,
आपकी पंक्तियों में इस बार मुझे महाकवि मुख वचन की अनुभूति हुई है.
क्या ये पंक्तियाँ किसी अन्य महाकवि की तो नहीं?
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जवाब देंहटाएंसंजय जी
नमस्ते.
कवि अपने समस्त तनावों को कविता से ही विरेचित करता है.
चाहता तो वह समस्त समस्याओं का निराकरण भी इसी थेरेपी से है. किन्तु यह थेरेपी किसी कम्पनी कोर्पोरेट आदि में मान्य नहीं.
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