शनिवार, 21 अगस्त 2010

पुरानी कविता

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[ये कवितायें कभी मैंने नई कविता के विरोध में लिखी थीं और उसमें अपने बचपन के चित्र डालकर खुश हुआ था. मैंने अपने इस प्रयास को 'पुरानी कविता' नाम दिया था.]
[१]
"उई"

छील सरकंडा
लगा था ब्लेड
ओड़े हाथ में.
'लाल' आया खून
मैंने —
'उई' बोला साथ में.

[२]
टोबा

ले गया 'टोबा'
कलम से
वो मेरी दवात से.
शरारती है
खींचता अब
बस्ता मेरा लात से.

[३]
सुलेख

तख्ती लिखी थी
इसलिए तो
अब हमारा है सुलेख
रोज़ाना गाची मली थी
इसलिए तो
नये लिखकर
जलाता हूँ.
मैं पुराने लेख.

[मेरे बचपन के साथी 'दीपक', 'मुन्नम' और 'चाँद' के साथ बिताये लम्हों को याद करते भाव-चित्र]
ये सभी सौलह वर्ष पुरानी रचनाएँ हैं.

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समस्त भारतीय कलाओं में रूचि रखता हूँ.