[1]
सब्जबाग अब भी ज्यों के त्यों दिखते हैं।
सपने मिथ्या राम राज के दिखलाते वे दिखते हैं।
[2]
वे कुछ चोरी-चोरी लाते-ले जाते।
चौकीदार चतुर प्रहरी क्यों सोते सोते दिखते हैं।
[3]
ना है घुसा हुआ कोई, ना है कब्जा।
स्टेचू ओफ यूनिटी के कंधे पर वे क्यों दिखते हैं।
[4]
न्याय मिलेगा संविधान के मंदिर में
लिए तराजू बैठे लेकिन खोंखोंई क्यों दिखते हैं।
[5]
हामिद मेले में आकर चिमटा ढ़ूँढ़े।
मगर उसे तो सभी खिलौने चीनी चीनी दिखते हैं।
[6]
दो हजार दो से पहले की है यारी
देखो तो वे अब आकर गुरबान पकड़ते दिखते हैं।
[7]
कानून के लंबे होते हैं हाथ - सुना।
मगर लफंगे कातिल उसकी बगल तले क्यों दिखते हैं।
[8]
नहीं कहीं मँहगाई है, ना बेकारी।
हर तरफ कंजूस और आवारा ही बस दिखते हैं।
[9]
सोच रहा है बीज कभी होगा उद्भव
बिन ज़मीन पानी के बरसों बंद लिफाफे दिखते हैं।
[ खोंखोंई - बंदर ]
[ खोंखोंई - बंदर ]
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