बुधवार, 17 नवंबर 2010

रहम करो परवरदिगार

मुझे बचाओ ..... मुझे बचाओ 
............ चीखें आती कानों में 
लेकिन उन चीखों की .. ऊँची 
........... कीमत है दुकानों में.


अल्लाह किस पर मेहरबान है 
........ समझ नहीं है खानों में. 
ईद मुबारक ..... ईद मुबारक 
.......... बेजुबान की जानों में.


रहम करो ...... परवरदिगार 
पशु कत्लगाह - ठिकानों में. 


क़त्लो-ग़ारत ख़ुद करे , मज़हब का ले' नाम !

ज़ुल्म-सितम का कब दिया अल्लाह ने पैग़ाम ?!

अल्लाह तो करते नहीं कभी ख़ून से स्नान !


करे दरिंदे-जानवर ,या शैतान-हैवान !! 



— राजेन्द्र स्वर्णकार 


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नयी दिल्ली, India
समस्त भारतीय कलाओं में रूचि रखता हूँ.