रविवार, 26 सितंबर 2010

नित्य प्रार्थना


विद्या विलास में हो तत्पर 
मन, शील हमारा हो सुन्दर 
तम, भाष हमारा सत्य सहित 
मन, मान मलिनता से हटकर. 

यम नियम आदि का हो पालन 
वैदिक कर्मों से भला इतर. 
जग जन-जन के दुःख दूर करे 
ऐसी विद्या देना हितकर. 

[एक परित्यक्त अर्चना, जो चिकित्सा के लिए 'काव्य थेरपी' औषधालय आ गयी.]

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समस्त भारतीय कलाओं में रूचि रखता हूँ.