tag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.comments2023-04-16T15:51:05.625+01:00Kavya TherapyPRATULhttp://www.blogger.com/profile/03991585584809307469noreply@blogger.comBlogger326125tag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-90192163035036650362015-05-06T14:04:02.709+01:002015-05-06T14:04:02.709+01:00ह्म्म्म्म। :(ह्म्म्म्म। :(Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-77743078281589672412013-11-19T16:39:34.829+00:002013-11-19T16:39:34.829+00:00बहुत अच्छाबहुत अच्छाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-3301317768747791072013-11-17T16:22:06.534+00:002013-11-17T16:22:06.534+00:00ye rachna 'primery ka master' ka nishit ro...ye rachna 'primery ka master' ka nishit roop se pratinidhtwa karti hai . dhanyawad is kavita se parichaya karaane ke liye.........Kuldeep pushpakar vlogshttps://www.blogger.com/profile/06159882958772062982noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-77973347997572954102011-08-15T06:53:56.409+01:002011-08-15T06:53:56.409+01:00आदरणीय अजित जी,
ये मेरे बाल-काल की रचना है... मेरे...आदरणीय अजित जी,<br />ये मेरे बाल-काल की रचना है... मेरे लिए तब ताकतवर पुलिस ही हुआ करती थी. मुझे सरकार 'पुलिस' में ही दिखायी देती थी.<br />इसलिए आज पुलिस रूप में ही मैं प्रशासन और कांग्रेस को देख रहा हूँ.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00211742823973842751noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-76010084328362926442011-08-15T05:02:37.193+01:002011-08-15T05:02:37.193+01:00यह भ्रष्टतंत्र है। इसके सिरपरस्त कांग्रेसी हैं।यह भ्रष्टतंत्र है। इसके सिरपरस्त कांग्रेसी हैं।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-91745728127368414652011-07-31T11:40:27.810+01:002011-07-31T11:40:27.810+01:00सटीक ... वर्तमान सामाजिक अवस्था का चित्र खींच दिया...सटीक ... वर्तमान सामाजिक अवस्था का चित्र खींच दिया शब्दों द्वारा ... देश प्रथम फिर स्वसेवा तो आम जनता के लिए है ... मुखिया तो स्वयं देश है तो तो स्व्मेवा ही होना है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-26223557989063233752011-07-25T06:59:50.792+01:002011-07-25T06:59:50.792+01:00शानदार अभिव्यक्ति!! सार्थकशानदार अभिव्यक्ति!! सार्थकसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-62978206823766153152011-07-14T10:46:18.706+01:002011-07-14T10:46:18.706+01:00दिवस जी, आपको संबोधन करना ही भुला बैठा.
क्रोध में ...दिवस जी, आपको संबोधन करना ही भुला बैठा.<br />क्रोध में .... शिष्टाचार भी संतुलन खो बैठता है. ऐसे में सुज्ञ जी के वचन याद करता हूँ.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00211742823973842751noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-59682638986736990832011-07-14T10:43:37.697+01:002011-07-14T10:43:37.697+01:00जब आग लगाने की हर कोशिश बेकार सिद्ध हो...
आग जलान...जब आग लगाने की हर कोशिश बेकार सिद्ध हो... <br />आग जलाने वाली तीलियाँ गीली हो जाएँ... तब कैसे कोई अपनी ऊर्जा नष्ट करता रहे...<br />मैं अपनी इच्छाओं का आदर्श रूप आपमें देखने लगा हूँ. आपकी ओजमयी और प्रेरित करने भाषा से मैं पुनः भभक उठता हूँ. <br />यदि आपकी प्रेरणा रही तो तीलियों की ज्वलनशीलता फिर लौट आयेगी.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00211742823973842751noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-30494007673428978492011-07-14T10:35:57.433+01:002011-07-14T10:35:57.433+01:00आदरणीय प्रतुल भाई साहब, आपकी यह कविता भीतर तक जाकर...आदरणीय प्रतुल भाई साहब, आपकी यह कविता भीतर तक जाकर लगी है| आपकी लेखनी का ऐसा ओज मैंने पहले नहीं देखा था| मैंने तो आपको हमेशा साहित्यिक रचनाएं करते ही देखा| यह भी सच है कि आपकी साहित्यिक रचनाएं उन्नत श्रेणी की हैं| किन्तु इस प्रकार की रचनाएँ अब कहाँ खो गयीं?<br />आपसे अनुरोध है कि ऐसी लेखनी फिर से चलाएं| युवाओं में जोश व क्रोध भरने के लिए ये रचनाएं बेहद कारगर सिद्ध होंगी...<br />आभार...दिवसhttps://www.blogger.com/profile/07981168953019617780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-81449431922984717232011-05-24T02:08:09.857+01:002011-05-24T02:08:09.857+01:00प्रतुल भाई,
अमित और भैमिक के लिये आपकी संवेदना और...प्रतुल भाई, <br />अमित और भैमिक के लिये आपकी संवेदना और उस पर अमित की टिप्पणी पढ़कर कैसा अच्छा लगा, बता नहीं सकता।<br />शुभकामनायें सबको।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-12835569343912465442011-05-10T14:51:14.406+01:002011-05-10T14:51:14.406+01:00बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर
परशुराम जयंती की ह...बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर <br /><br /> परशुराम जयंती की हार्दिक बधाई!मदन शर्माhttps://www.blogger.com/profile/07083187476096407948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-26178926152705149162011-05-10T14:51:13.425+01:002011-05-10T14:51:13.425+01:00बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर
परशुराम जयंती की ह...बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर <br /><br /> परशुराम जयंती की हार्दिक बधाई!मदन शर्माhttps://www.blogger.com/profile/07083187476096407948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-89253812544237358472011-05-10T14:51:12.372+01:002011-05-10T14:51:12.372+01:00बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर
परशुराम जयंती की ह...बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर <br /><br /> परशुराम जयंती की हार्दिक बधाई!मदन शर्माhttps://www.blogger.com/profile/07083187476096407948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-12524221549400520552011-05-09T10:19:35.789+01:002011-05-09T10:19:35.789+01:00शानदार, भावपूर्ण और उम्दा प्रस्तुती! परशुराम जयंती...शानदार, भावपूर्ण और उम्दा प्रस्तुती! परशुराम जयंती की हार्दिक बधाई!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-60551842314178038492011-05-07T02:52:35.749+01:002011-05-07T02:52:35.749+01:00बहुत सुन्दर और आप्त ! परशुराम जीवन की समग्र सूत्र ...बहुत सुन्दर और आप्त ! परशुराम जीवन की समग्र सूत्र गाथा ही है यह! <br />ऐसी प्रांजल रचना बस आपके ही वश की है यहाँ !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-51785660149907729322011-05-06T19:01:41.493+01:002011-05-06T19:01:41.493+01:00परशुराम के लिए मैंने पहली बार स्तुति पढ़ी ..बहुत भ...परशुराम के लिए मैंने पहली बार स्तुति पढ़ी ..बहुत भावमयी ...सुन्दर प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-19854302294815833562011-05-05T05:01:58.986+01:002011-05-05T05:01:58.986+01:00सुन्दर...सुन्दर...Sumit Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/06852765514850701581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-15911847458034292892011-04-29T04:56:35.409+01:002011-04-29T04:56:35.409+01:00प्रतुल जी,
इस बे-ध्यान की चुक के कारण अपराध-बोध स...प्रतुल जी,<br /><br />इस बे-ध्यान की चुक के कारण अपराध-बोध से आहत हूँ। मैं अपने अभिन्न मित्र की सम्वेदनाओं तक न पहुँचा।<br /><br />इस विषय पर ही मेरे लेख चल रहे थे सो उसी रो में बह गया।<br /><br />भौमिक के लिये पुनः पुनः मंगल प्रार्थना!! वह शीघ्र स्वस्थ हो।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-57863773927232940432011-04-29T04:32:28.036+01:002011-04-29T04:32:28.036+01:00भैमिक के लिये शुभकामनाएँ
क्षमा करें, यह मंगल प्रा...भैमिक के लिये शुभकामनाएँ<br /><br />क्षमा करें, यह मंगल प्रार्थना भाव थे भौमिक के लिये, ध्यान ही न गया, अन्यथा दर्शन प्रवाह में न बहता। <br /><br />अमित जी इन कठीन पलों में मैं आपके साथ हूँ।<br /><br />भौमिक शीघ्र सर्वांग स्वस्थ होगा, मेरी शुभकामनाएँसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-70926082057915038252011-04-28T16:12:13.443+01:002011-04-28T16:12:13.443+01:00आपके आशीर्वाद के अभिलाषी हैं हम तो .................आपके आशीर्वाद के अभिलाषी हैं हम तो .............. और वह निरंतर मिलता है इसका प्रमाण यह पंक्तियाँ हैं, जिनसे पता लगता है की आप निरंतर मेरे हितचिंतन में रहतें है.......... बेटे का एक आपरेशन ठीक से हो चुका है, दूसरा दो महीने के अन्तराल पर होगा जगह अभी निश्चित नहीं है की जयपुर में ही होगा या दिल्ली में होगा ............... मेरे हाथ की सर्जरी कल होगी. यह सब आपके आशीर्वाद और उस करुणानिधान के निश्चित विधान से सानंद निबट जायेगा :) .............. आपने सही कहा वह करुनानिधान वास्तव में ही चिकना घड़ा है उस पर किसी मनौती का कोई असर नहीं होता है ................ हमारे कर्मफल को बिना किसी पक्षपात के हम तक पहुंचता है , उस करुणानिधान की करुणा इस रूप में महसूस करनी चाहिये की संचित कर्मफल को भोगते समय हम नवीन कर्म में सद-असद के अंतर को पहचान सकें इसका विवेक वह करुणा करके हमें प्रदान करें .Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-31338027432197720122011-04-28T13:21:55.134+01:002011-04-28T13:21:55.134+01:00सुज्ञ जी,
आप भाव के भीतर तक प्रविष्ट हो जाते हैं....सुज्ञ जी, <br />आप भाव के भीतर तक प्रविष्ट हो जाते हैं. आप इस कविता का दार्शनिक पक्ष उजागर कर रहे हैं. <br /><br />क्योंकि ये कविता अमित जी और उनके बेटे 'भौमिक' से जुडी हुई है इसलिए इसका भौतिक पक्ष अमित जी ही समझ सकते हैं. <br /><br />उनके समस्त कष्ट ईश्वर दूर करे ...... यह प्रार्थना करता हूँ लेकिन ईश्वर तो चिकना घड़ा हो गया है. मैं बेकार उसकी खुशामद में उसे करुणानिधान कहता घूमता रहा.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00211742823973842751noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-59610641005570855282011-04-28T08:12:58.718+01:002011-04-28T08:12:58.718+01:00बस इसी परिपेक्ष्य में वह चिकना घडा है। :)बस इसी परिपेक्ष्य में वह चिकना घडा है। :)सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-34485793007625258062011-04-28T08:11:08.915+01:002011-04-28T08:11:08.915+01:00सर्व प्रथम तो ईश्वर, मानवीय कल्पनाओ से भिन्न, मानव...सर्व प्रथम तो ईश्वर, मानवीय कल्पनाओ से भिन्न, मानव व्यवहार से अभिन्न, एक सिस्टम हो सकता है, शायद इसी लिये उसे निराकार कहा गया हो।<br /><br />उसके ज्ञान के समक्ष इन्द्रिय सामर्थ्य तो कुछ भी नहीं।<br /><br />उसका सिस्टम अचुक और न्यायपूर्ण क्रियाशील रहता है। हमें पता नहीं क्यों तालावेली लगी रहती है कि वह सिस्टम सही काम कर रहा है अथवा नहीं?<br />इस जानने की जिज्ञासा में मुझे तो अपनी ही बदमाशी नज़र आती है, हम यह निश्चित कर लेना चाहते है कि माया और चिंटिंग से दिखाए सद्गुण की चीट उसका सिस्टम पकड पाता है या नहीं। अगर ऐसा भ्रम चल जाय तो सार्थक पुरूषार्थ कौन करे।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-77247204770351700442011-04-16T08:18:23.232+01:002011-04-16T08:18:23.232+01:00आदरणीय प्रतुल जी...
सादर अभिवादन!
अन्ना हज़ारे जी ...आदरणीय प्रतुल जी...<br />सादर अभिवादन!<br />अन्ना हज़ारे जी के साथ हमारी भी शुभकामनाएँ हैं. <br />रचना पसंद आई.<br />इसके लिए आपको बधाई.वीरेंद्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05613141957184614737noreply@blogger.com