मंगलवार, 22 मार्च 2011

उतरन होली

होली पीछे गयी .. रंग की 
आयी है ... 'उतरन होली'. 
रंगे हुए सियारों की अब 
सुन लो 'हुआ-हुआ' बोली.

"मेरे अनशन ने दिलवाया 
भूखों को .. खाना भरपेट. 
पर 'सुभाष' ने खून माँगकर* 
खुलवाया .. हिंसा का गेट." 

"मेरे ... बन्दर बँटवारे ने 
रोकी .. छीना-झपटी कैट.
पर .. 'नाथू' लंगूर भगाता 
पार .. 'राम नाम' के गेट."*

"मेरे .. 'हरिजन' संबोधन ने 
दी दलितों को बिग नेम-प्लेट. 
'भीमराव जी' फिर भी घूमे 
'अम्बेडकर' का नाम लपेट."*

"वैष्णवजन तो तैने कहिये 
'शैतानों' को ... दे भरपेट. 
उनको दुश्मन कहो देश का 
जो रहते हैं 'आउट ऑफ़ डेट." 



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नयी दिल्ली, India
समस्त भारतीय कलाओं में रूचि रखता हूँ.