सोमवार, 5 अप्रैल 2010

पर्दा-पर्दा

बुर्केवाली माताओं बहनों!

पर्दा तब करो जब धूल भरी आंधी चले।

पर्दा तब करो जब सर्द हवा के झोंके चलें।

पर्दा तब करो जब किसी की बुरी नज़र से बचना भर हो।

पर्दा तब करो जब लज्जा शरीर में संभाले न संभले।

पर्दा तब करो जब कुकर्म किया हो कोई।

पर्दा तब करो जब संक्रामक रोग लग गया हो कोई।

पर्दा तब कतई मत करो जब फोटो खिंचवानी हो भई।

पर्दा तब कतई मत करो जब पहचानने आया हो कोई।

पर्दा तब कतई मत करो जब आप ही से बात होती हो।

पर्दा तब कतई मत करो जब लोगों की आँखों पर पर्दा पड़ा हो ।

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नयी दिल्ली, India
समस्त भारतीय कलाओं में रूचि रखता हूँ.