बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

जीवन नौका

यौवन सरिता में उतर पड़ी
वर-वधु की अब जीवन नौका
मिलकर वे होते हैं सवार
कौशल दिखलाने का मौक़ा।

डोलेगी नौका इधर-उधर
आयेगा दुःख पीड़ा-झोंका
संतुलन बिगड़ न जाए कहीं
दौर है रस-क्रीडाओं का।

(प्रिय साथी कृष्णा एवं सस्मीता जी के विवाह के उपलक्ष्य पर)

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नयी दिल्ली, India
समस्त भारतीय कलाओं में रूचि रखता हूँ.