आज गुप्पा हो गया
................ मैं फूलकर इतना
............................लगने लगा भय
.......................................नोक से.
आसमान में उठा
................ मैं ऊलकर इतना
.......................... भगने लगा हय*
.................................... शोक से.
साथ तेरे थक गया
................ मैं झूलकर इतना
........................... जगने लगा मैं
................................... झोंक से.
उर को सभी कुछ दे दिया
.................. है मूल-कर इतना
.......................... ठगने लगी वय*
..................................... थोक से.
आप आते हो नहीं
................... मुँह खोलकर अपना
............................... पगने लगी लय
......................................... कोक* से.
हय — घोड़ा;
वय — आयु;
कोक — काम-वासना.
waah bahut achche ...
जवाब देंहटाएंएक नया प्रयोग!
जवाब देंहटाएंएक विनम्र अपील:
कृपया किसी के प्रति कोई गलत धारणा न बनायें.
शायद लेखक की कुछ मजबूरियाँ होंगी, उन्हें क्षमा करते हुए अपने आसपास इस वजह से उठ रहे विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है.
हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ.
-समीर लाल ’समीर’
BILKUL NAYA ANDAZ AUR NAYA UTTAM PRYOG...BADHAYEE
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