विप्रा ने .... गौरव से ...
इन्टरनल जोब्स के ज़रिये
पिछड़ी जातियों के लिये
प्रमोशन का द्वार खुलवाया.
............ नया साल आया.
गज़न्फर ने आशीष के ...
........ कान में ..... धीरे से
..... जल्दी सफलता का
....... प्रेरक प्रसंग सुनाया
............ नया साल आया.
देवब्रत ने
विप्रा के सामने
पर्सनल इमोशन का ....
....... मेघ-मल्हार गाया
............ नया साल आया.
योगिता और नेहा ने ...
....... जाटों की स्टडी में
'अरुण कुमार' को
'किंग ऑफ़ क्वेरी' बताया.
............ नया साल आया.
सीनियर सुधीर ने ...
जूनियर सुधीर से ...
..... टॉयलेट रजिस्टर में
ओरिजनल नेम बदलवाया
............ नया साल आया.
रियाज़ ने
नरेश के हाथ में
फिक्स डिपोजिट हो जाने पर
करेंसी ज़मा न कर पाने का
कम्यूनी- 'कोशन' पेपर थमाया
............ नया साल आया.
अर्चना ने सुब्रातो को ....
सुबह की शिफ्ट का
हेल्थ-फायदा बताया
............ नया साल आया.
पवन ने
बर्थ-डे कलेक्शन पर
कोटेश को खुश करने को
५०% इनकम-टेक्स लगाया
............ नया साल आया.
हरप्रीत ने चनदीप से
गठिया दर्द वाली स्टडी के समय
ऑफिस आने से पहले
एक्सेस कार्ड एक्सेस करवाया
............ नया साल आया.
एक ही समय में
दो दफ्तरों में
इकलौता मुर्गा
जोर से चिल्लाया.
............ नया साल आया.
दीपा ने
पुराने डीओज को
उनकी भावी टीमलीड का
................ दर्शन कराया.
............ नया साल आया.
हरीश ने
बॉस की बात को
समझ में आने से पहले
'हाँमी' में गर्दन को
ऊपर से नीचे हिलाया
............ नया साल आया.
संतोष के ऊपर
शाम सात बजे
विनीता मेडम के
बिहारी भूत ने
अपना कब्जा जमाया
............ नया साल आया.
कुलदीप ने
प्रमोशन के आशा-दीपक में
अपना पूरा तेल गिराया
............ नया साल आया.
चंदर ने
झल्लाहट में
कुर्सी पर बैठकर
लंबा पाँव फैलाया
............ नया साल आया.
विजय कुमार ने
अपना डेज़ीग्नेशन
'CRF डिज़ाइनर' बताया
खुद की नज़रों में
अपना महत्व बढाया.
............ नया साल आया.
विजयालक्ष्मी मेडम ने
अपने ऑफीशियल टाइम को
रबड़-बेन्ड बनाया.
............ नया साल आया.
और मैंने
अपने कनवेंस फॉर्म में
महीने दर महीने
होम और ऑफिस के बीच
किलोमीटर डिस्टेंस बढाया
............ नया साल आया.
[भाग-1]
[मेरा उद्देश्य केवल मनोरंजन है और साथ ही साथ कमियों को उजागर करना है, यह मुझ में कमी है कि मैं कटाक्ष द्वारा पारदर्शिता लाना पसंद करता हूँ.
अधिकारों को लेकर कोई छोटा-बड़ा नहीं. सभी के समान अधिकार हैं. व्यक्तिगत राग-द्वेष से हमारे सार्वजनिक-निर्णय कभी प्रभावित नहीं होने चाहिए.
हमारे छोटे-छोटे भ्रष्ट आचरण से हमारा स्वभाव निर्मित होता है और एक ग़लत परम्परा पड़ती है. एक-दूसरे के प्रति विश्वास समाप्त होता है.
अतः नये वर्ष पर मैं इस बात का संकल्प लेता हूँ कि सत्य कहूँगा लेकिन हितकर कहूँगा. मेरे साथी क्या संकल्प लेते हैं यह उनकी इच्छा पर है.
सभी साथियों को नव वर्ष पर मेरी मंगल कामनायें.]
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जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग के अन्य परिचितों के लिए यह रचना पूरी तरह समझ से परे होगी.
इस रचना में मेरे कार्यालय का परिवेश, उसमें हो रही घटनाएँ और साथियों व अधिकारियों का चरित्र समझे बिना इसमें छिपे व्यंग्य को समझा नहीं जा सकता.
फिलहाल यह रचना एक सीमित दायरे के लोगों के मनोरंजन निमित्त है मतलब मेरे ऑफिस के साथियों के लिए.
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इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंये सच है की इसमें छुपा व्यंग समझ नहीं सकी हूँ। शायद आपके ऑफिस में कार्यरत होती तो समझती भी। लेकिन कविता के अंत में जो आपने अभिद्या में लिखा है, उससे सहमत हूँ।
जवाब देंहटाएं"
अधिकारों को लेकर कोई छोटा-बड़ा नहीं. सभी के समान अधिकार हैं. व्यक्तिगत राग-द्वेष से हमारे सार्वजनिक-निर्णय कभी प्रभावित नहीं होने चाहिए.
हमारे छोटे-छोटे भ्रष्ट आचरण से हमारा स्वभाव निर्मित होता है और एक ग़लत परम्परा पड़ती है। एक-दूसरे के प्रति विश्वास समाप्त होता है. "
मैंने तो नए वर्ष में कोई संकल्प नहीं लिया है। बस यही कोशिश रहेगी की समाज और परिवार के प्रति अपने दायित्वों को निष्ठा से निभा सकूँ।
आपके परिवार एवं आपके ऑफिस के मित्रों के लिए यह नूतन वर्ष मंगलमय हो ।
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जवाब देंहटाएंशायद आपके ऑफिस में कार्यरत होती तो ...
@ काश आप हमारे कार्यालय में मेनेजर या सीईओ होते तो बेहद अच्छा होता.
आपके निर्देशन में अनुशासन होता और निर्णयों में पारदर्शिता होती.
छोटे कर्मचारियों को आगे बढ़ने के ईमानदारी से भरे अवसर मिलते.
मुझे लगता है तब यह कविता कुछ भिन्न प्रकार की होती.
लेकिन कभी-कभी दीपक तले अंधेरा मिलता है.
हमारे सीईओ साहब जी वही दीपक हैं.
बुरे अर्थ में इस अँधेरे में न जाने कितने अस्पष्ट निर्णय लिए जाते हैं.
दूसरे दृष्टिकोण से
दीपक का अंधेरा अच्छे अर्थ में लें तब "वह
अपने अँधेरे को अपने तक ही रखकर केवल प्रकाश ही दूसरों तक पहुँचाता है."
लेकिन यहाँ यह अर्थ अभिहित नहीं है.
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