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[राजकुमारी डायना जी की स्मृति में....]
[कविता में भागती कार की तरह से तीव्रता है, मोड़ हैं, कोशिश की गयी है शब्दों की बुनावट के माध्यम से उस समय को चित्रित करने की]
मरी डायना
मोटर अन्दर
______भाग रही थी
______जान छुड़ाकर
___________फोटोग्राफर
___________करते पीछा
_________________चित्र खींचने
_________________उसके तन का.
_____________प्रेमी उसका
________अल फयाद
________डोडी, भी उसके
____________साथ-साथ था
____________पवन चाल से
________________दौड़ रही थी
________________कार, संतुलन
_____________________संवाहक का
_____________________बिगड़ गया, पथ
_________________मोड़, अचानक
_________________आया, सम्मुख
_________________अकस्मात् था.
____________फटी ब्रेस्ट की
____________नस भीतर ही
________स्राव रक्त का
________होते-होते
___________होश उड़ा ले
___________गया तभी ही.
________खींच रहा था
________फोटोग्राफर
___________फिर भी उसकी
___________मरी देह का
______________चित्र, दीखने
______________वाला कर्षक
________एक विशेष
________एंगल से जो कि
___________कल को शायद
_____________खूब बिकेगा
________________लाख-लाख
___________डॉलर में — छपने.
बड़ी पुरानी बात निकाली फिर से,,,
जवाब देंहटाएंअपने गुरु श्रेष्ठ को शिष्य का उलाहना ..........
जवाब देंहटाएंबड़ी पुरानी बात निकाली फिर से,,,
@ बात पुरानी बेशक है जी ....फिर से.
कुछ शब्दों की वही टिप्पणी .... फिर से.
लगता है बस दौड़ लगाने में हो तत्पर
मर्म कविता का छोड़ा है ...... फिर से.