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"मदर!
तुम्हारी देह बूढ़ी
और डायना की ज़वान थी"
भक्त और प्रेमीजन
समीप के
बुढ़िया के नहीं
उसके और उसके मिशन के
नाम पर मिली सुविधाओं के आसक्त हैं.
झन झन
बरसते धन की
उनको निरंतर रखती पास है.
उनकी यहीं आजीविका है.
यहीं धर्म-प्रचार है.
ऐसे ही
विश्वजन
डायना के नहीं प्रेमी.
पुरुषगण
उसकी नंगी देह के आकर्षण में
उत्तेजक स्ट्रक्चर से मुग्ध हैं.
नारियाँ
जगत भर की
उसकी उच्छृंखलता की शुरुआत की प्रशंसक हैं.
'राजसी वधु' नाते
स्थापित किया 'आदर्श' जो उसने
रिआया मानसिकता स्वीकारती है उसको.
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