मैं हूँ कामी
—अनुगामी
आगे चलती मम परिभाषा।
औ' परिभाषा पदचिह्नों पर
मैं उछलकूद करता जाता।
या कभी-कभी
छुक-छुक-छुक कर
इक छोर पकड़ परिभाषा का
अपने मित्रों को साथ लिए
इक छोर और निर्मित कर उनके हाथ दिए
पीछे-पीछे
दौड़े चलते परिभाषा के।
तब अकस्मात्
पाठक श्रोता
का ध्यान भंग होता
या, कर्षण
खींच-खींच
लदने की इच्छा करा
सीटियाँ — बजवाता।
भाव स्पष्ट नहीं हो पा रहे प्रतुल जी ...कुछ प्रकाश डालिए ......!!
जवाब देंहटाएंउदाहरण महोदय कहते हैं कि
जवाब देंहटाएं"मैं उस परिभाषा का कामी और अनुगामी हूँ जिसका मैं (उदाहरण) हूँ।
मुझसे आगे मेरी परिभाषा रहती है और उसके अनुसार ही मैं अपने स्वरूप को बनाता हूँ।
कभी कभी हम एकाधिक संख्या में भी अपने अन्य भाइयों के साथ उस परिभाषा के पीछे-पीछे चलते हैं रेलगाड़ी की तरह से।
सीटियाँ बजाने से तात्पर्य सुनने पढने वाले का ध्यान आकृष्ट करने के लिए हम ऐसा करते हैं. (pribhaashaa aur udaaharan ka maanviikaran)
प्रतिक्रिया देने के चक्कर में शिष्टाचार भूल गया।
जवाब देंहटाएंनमस्ते हरकीतजी। ऐसे ही हिम्मत बढ़ाइयेगा।
पूरी तरह फिर भी स्पष्ट नहीं किया। शब्दों से मनोरंजन करना आदत बन गयी है।
स्पष्ट करने में स्वाद जाता रहता है।
bhool sudhaar
जवाब देंहटाएंnaam galat type hua "harkeerat 'heer'"