tag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post6577554059304547300..comments2023-04-16T15:51:05.625+01:00Comments on Kavya Therapy: गोबर का कमालPRATULhttp://www.blogger.com/profile/03991585584809307469noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-78340949499838975292010-04-23T06:15:29.814+01:002010-04-23T06:15:29.814+01:00मेट्रो कल्चर में बूढ़े माँ-बाप भी अप्रासंगिक से ही ...मेट्रो कल्चर में बूढ़े माँ-बाप भी अप्रासंगिक से ही है. और आने वाले समय में जब आप और बुजुर्ग हो जायेंगे तब उस पीढ़ी के लिए आप भी और ज्यादा अप्रासंगिक हो जायेंगे. और ये जो लोग हर किसी चीज को बकवास, अप्रासंगिक कहकर और धर्म (विशेषकर हिन्दू-धर्म) के नाम मुंह बिचका के अपने आप को खुले विचारों वाला और आधुनिक जतलाना चाहते है, इन्ही लोगो के हिसाब से इनका निपटारा किस प्रकार होना चाइये ये समझ सकते है .Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-16849234699355572372010-04-23T04:20:21.657+01:002010-04-23T04:20:21.657+01:00प्रतुल जी नमस्कार,
ये वाली कविता तो मुझे आसानी से ...प्रतुल जी नमस्कार,<br />ये वाली कविता तो मुझे आसानी से समझ आयी । इस बार मेरी ट्यूब लाइट झट से जल गयी। समीर जी बहुत सुलझे हुए व्यक्ति हैं। आपने बहुत सही गुरु चुना। आप अपने कार्य में निसंकोच लगे रहिये। मन में प्रश्न उठाना बहुत स्वाभाविक है और आपके पास समीर जी जैसा मार्ग निर्देशक हो क्या कहने।VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-91414001169483733482010-04-23T00:39:27.052+01:002010-04-23T00:39:27.052+01:00आदरणीय समीर sir , आपके उत्तर संतुलन और धैर्य के पर...आदरणीय समीर sir , आपके उत्तर संतुलन और धैर्य के परिचायक हैं, अच्छे लगते हैं, गुरु के सामने जिस तरह हर प्रश्न अपना समर्पण कर देता हैं उसी तरह आपके सामने भी. आगे भी अगर प्रश्न उठे तो पूछूँगा जरूर. गायों को गोबर करने की सजा शहर से हटाना कतई नहीं और ना ही कत्लगाह में भेजने की मुहीम चलाना है. लेकिन यह तो समाज में दिखाई दे रहा है. पर दूसरे स्तर पर गंदगी (भैसों का गोबर भी शामिल) फैलाने वाली अन्य खुदा कि भैसों का कोई कुछ बिगाड़ नहीं रहा. यह तो दोहरी नीति है.<br /><br />आदरणीय आशा जी, यह गोबर गौ माता का ही था, जिससे कभी आँगन लीपा जाता था, मेरा गोबर से कभी बैर नहीं रहा. हाँ, कोई अगर अचानक दूध भी फैंक दे तो तिलमिलाहट तो होती ही है, प्रतिक्रिया देना मानवीय स्वभाव हैं. समझदारी का कुछ देर बाद बोध होता है. जिस तरह मेरे विचारों पर आपकी प्रतिक्रिया मिली, हाँ, जिससे लगाव होता है, उसकी चिंता भी होती है कि वह क्या कर रहा है. <br /><br />मेरे घर आकर कोई रोगी बैठ जाए और जाए नहीं, तो मेरा ध्यान हर समय उस पर ही लगा रहेगा कि नहीं. कभी मैं उसकी तीमारदारी का सोचूंगा और कभी इश्वर से प्राथना करूंगा कि वह जल्द ठीक जो जाए. <br /><br />मैं गुरु जनों से अपेक्षा रखता हूँ कि वे मार्गदर्शन सदा बनाए रखें.PRATULhttps://www.blogger.com/profile/03991585584809307469noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-29505148461253435572010-04-22T23:35:31.051+01:002010-04-22T23:35:31.051+01:00ऐसे में क्या करियेगा-जिस गाय ने गोबर किया था, उसे ...ऐसे में क्या करियेगा-जिस गाय ने गोबर किया था, उसे खोज कर पीटियेगा या गांव की सारी गायों को गांव से निकलवा दिजियेगा कि क्यूँ गोबर करती हैं या ट्रक का चलना बंद कराईयेगा या खुद को साफ करियेगा और आगे से ऐसे मौको पर और संभल कर/बच कर चलियेगा?<br /><br />जबाब आप खुद ही सोच कर तय कर लिजियेगा-मैं क्या बताऊँ, आप तो स्वयं ही समझदार हैं. :)<br /><br />आशा है जो प्रश्न आपने किया है, उसका जबाब मैं दे पाया. ऐसे ही ध्यान से पढ़ते रहिये और शंका उत्पन्न होने पर प्रश्न करते रहें, यह सजगता का परिचायक है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8683536135406140676.post-1350961741456997822010-04-22T20:14:43.285+01:002010-04-22T20:14:43.285+01:00उडन तश्तरी तक तो आपका (?) गोबर पहुंचने से रहा ।उडन तश्तरी तक तो आपका (?) गोबर पहुंचने से रहा ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.com